तुम्हारा यूं मिलना कोई इत्तेफाक ना था, तुझसे दूर जाने के बाद तन्हा तो हूँ लेकिन, हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है। वक्त से उधार माँगी किस्तें चुका रहा हूँ, Urdu language is filled with so many emotions and insights. Identical to this couplet of درخشندہ through https://youtu.be/Lug0ffByUck