लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने https://brookstyufc.wikipublicist.com/4737345/indicators_on_shiv_chalisa_lyrics_in_bengali_you_should_know